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बाकी हरेक दिल काबिल-ऐ-वफा नही होता ।
हाथ की लकीरें भी कितनी अजीब हैं,
हाथ के अन्दर हैं पर काबू से बाहर…
किसी ने धूल क्या झोंकी आखों में,
पहले से बेहतर दिखने लगा है.
वो बोलते रहे हम सुनते रहे,
जवाब आँखों में था वो जुबान में ढूंढते रहे.
यूँ गुमसुम मत बैठो पराये से लगते हो,
मीठी बातें नहीं करना है तो चलो झगड़ा ही कर लो…!!
हमने तुम्हें उस दिन से और ज़्यादा चाहा है,
जबसे मालूम हुआ के तुम हमारे होना नही चाहते.
काश एक ख़्वाहिश पूरी हो इबादत के बगैर,
तुम आ कर गले लगा लो मुझे,
मेरी इज़ाज़त के बगैर….!!
ज़िन्दगी जोकर सी निकली,
कोई अपना भी नहीं….कोई पराया भी नहीं.
आने वाला कल अच्छा होगा,
बस इसी सोच मे आज बीत जाता है.
मोहब्बत का नतीजा, दुनिया में हमने बुरा देखा,
जिन्हे दावा था वफ़ा का, उन्हें भी हमने बेवफा देखा.
मेरी कोशिश हमेशा से ही नाकाम रही
पहले तुजे पाने की
अब तुजे भुलाने की.
छोड दी हमने हमेशा के लिए उसकी, आरजू करना,
जिसे मोहब्बत, की कद्र ना हो उसे दुआओ, मे क्या मांगना
कहा था ना मैने “सोच लो तुम”,,
जिन्दगी भर रिश्ते निभाना आसान नहीं होता!
एक मैं हूँ , किया ना कभी सवाल कोई,
एक तुम हो , जिसका कोई नहीं जवाब.
बहुत लम्बी ख़ामोशी से ग़ुजरा हूँ मैं
किसी से कुछ कहने की तलाश में.
शौक से तोडो दिल मेरा, मुझे क्या परवाह,
तुम्ही रहते हो इसमें, अपना ही घर उजाड़ोगे.
मेरी आँखों में आसूं….तुझसे हम दम क्या कहूं क्या है,
ठहर जाये तो अंगारा है,बह जाये तो दरिया है.
सिर्फ दिल ही दाव पर लगाया था
पर उसने तो मेरी जान ही ले ली.
एक चाहत थी तेरे_संग_जीने_की वरना,
मौहब्बत तो किसी से भी हो सकती थी।।
अजीब सी बस्ती में ठिकाना है,
मेरा जहाँ लोग मिलते कम झांकते ज़्यादा है.
चाहने वालो को नही मिलते चाहने वाले.!
हमने हर दगाबाज़ के साथ सनम देखा है..!!
मेरे घर से मयखाना इतना करीब न था,
ऐ दोस्त कुछ लोग दूर हुए तो मयखाना करीब आ गया.
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